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Showing posts from June, 2020

Swami Vivekanand

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को हुआ। उनका घर का नाम नरेंद्र दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेंद्र को भी अंगरेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे। नरेंद्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गए किंतु वहां उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ।   सन्‌ 1884 में विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर का भार नरेंद्र पर पड़ा। घर की दशा बहुत खराब थी। कुशल यही थी कि नरेंद्र का विवाह नहीं हुआ था। अत्यंत गरीबी में भी नरेंद्र बड़े अतिथि-सेवी थे। स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते, स्वयं बाहर वर्षा में रातभर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते।   रामकृष्ण परमहंस की प्रशंसा सुनकर नरेंद्र उनके पास पहले तो तर्क करने के विचार से ही गए थे किंतु परमहंस जी ने देखते ही पहचान लिया कि ये तो वही शिष्य है जिसका उन्हें कई दिनों से इंतजार है। परमहंस जी की कृपा से इनको आत्म-साक्षात्कार हुआ फलस्वरूप नरेंद्र परमहंस जी के शिष्यों में प्रमुख हो गए। संन्

Chhatrapati Shivaji Maharaj

छत्रपती शिवाजी महाराज  (1630-1680 ई.)  भारत  के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने  1674  ई. में  पश्चिम भारत  में  मराठा साम्राज्य  की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष  औरंगज़ेब  के  मुगल   साम्राज्य  से संघर्ष किया। सन् 1674 में  रायगढ़  में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने।छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने  समर-विद्या  में अनेक नवाचार किये तथा  छापामार युद्ध  (Gorilla War) की नयी शैली ( शिवसूत्र ) विकसित की। उन्होंने प्राचीन  हिन्दू  राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और  फारसी  के स्थान पर  मराठी  एवं  संस्कृत  को राजकाज की भाषा बनाया। शाहजी भोंसले  की पत्नी  जीजाबाई  (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था।  शिवनेरी  का दुर्ग  पूना  ( पुणे ) से उत्तर की तरफ़  जुन्नर नगर  के पास था। उनका बचपन उनकी माता जिजाऊ माँ साहेब के मार्गदर्शन में बीता। वह सभी कलाओं में माहिर थे, उन्होंने बचपन में  राजनीति  एवं  युद्ध  की  शिक्षा  ली

NARENDRA MODI

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी  ( उच्चारण   सहायता · सूचना ,  गुजराती :  નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી ;  जन्म : 17 सितम्बर 1950) 26 मई 2014 से अब तक लगातार दूसरी बार वे  भारत  के  प्रधानमन्त्री  बने हैं तथा  वाराणसी  से लोकसभा सांसद भी चुने गये हैं।  वे भारत के प्रधानमन्त्री पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। इससे पहले वे 7 अक्तूबर 2001 से 22 मई 2014 तक  गुजरात  के  मुख्यमंत्री  रह चुके हैं। मोदी  भारतीय जनता पार्टी  (भाजपा) एवं  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  (आरएसएस) के सदस्य हैं। वडनगर  के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ साल की उम्र में वे आरएसएस से जुड़े, जिसके साथ एक लंबे समय तक सम्बंधित रहे।  स्नातक  होने के बाद उन्होंने अपने घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केन्द्रों का दौरा किया। 1969 या 1970 वे गुजरात लौटे और  अहमदाबाद  चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975 में देश भर में  आपातकाल  की स्थिति के दौरान उन्हें

भारत का इतिहास

भारत का इतिहास  कई हजार वर्ष पुराना माना जाता है। [1]  65,000 साल पहले, पहले आधुनिक मनुष्य, या  होमो सेपियन्स ,  अफ्रीका  से  भारतीय उपमहाद्वीप  में पहुंचे थे, जहां वे पहले विकसित हुए थे। [2] [3] [4]  सबसे पुराना ज्ञात आधुनिक मानव आज से लगभग 30,000 साल पहले दक्षिण एशिया में रहता है। [5]  6500 ईसा पूर्व के बाद, खाद्य फसलों और जानवरों के वर्चस्व के लिए सबूत, स्थायी संरचनाओं का निर्माण और कृषि अधिशेष का भंडारण मेहरगढ़ और अब बलूचिस्तान के अन्य स्थलों में दिखाई दिया। [6]  ये धीरे-धीरे  सिंधु घाटी सभ्यता  में विकसित हुए,  दक्षिण एशिया  में पहली शहरी संस्कृति, जो अब पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में २५००-१९ ०० ई.पू. के दौरान पनपी।  मेहरगढ़  पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है जहां  नवपाषाण युग  (७००० ईसा-पूर्व से २५०० ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं।  सिन्धु घाटी सभ्यता , जिसका आरम्भ काल लगभग ३३०० ईसापूर्व से माना जाता है, [7]   प्राचीन मिस्र  और  सुमेर सभ्यता  के साथ विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में से एक हैं। इस सभ्यता की  लिपि  अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है। सिन्धु घाटी सभ्यता